दो स्कूल-मास्टर साइकिल से बातें करते हुए स्कूल से घर लौट रहे थे. रास्ते में बिड़लाजी की फैकट्री भी आती थी. एक मास्टर रोज बड़ी हसरत भरी नज़र से बिड़लाजी की फैक्ट्री को देखता और फिर ठंडी सांस लेता और घर की राह पकड़ लेता..एक दिन दूसरे मास्टर से रहा नहीं गया और उसने पूछ ही लिया, क्यों भाई माज़रा क्या है..ये तू बिड़लाजी की फैक्ट्री को रोज़ ऐसे क्यों देखता है...ये सुनकर पहला मास्टर बोला...यार तुझे क्या बताऊं..अगर ऊपर वाला मुझे बिड़लाजी की सारी फैक्ट्रियां दे दे, सारा बिज़नेस दे दे तो मैं बिड़लाजी से ज़्यादा कमा कर दिखा दूं...इस पर साथी मास्टर ने मखौल के अंदाज़ में कहा...भई ये कैसे हो सकता है...तूने बहुत तीर भी मारा तो बिड़लाजी जितना ही कमाएगा, भला ज़्यादा कैसे कमा लेगा...इस पर पहला मास्टर तपाक से बोला...क्यों साथ दो ट्यूशन नहीं करूंगा...
सरदार का सम्मान या मोदी का अहम...खुशदीप
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सरदार वल्लभ भाई पटेल आज धन्य हुए. आख़िर जिस विचारधारा के वो विरोधी रहे, उस
विचारधारा के वंशज भी उनकी मूर्ति के उद्घाटन के बाद लहालोट हो रहे हैं.
मूर्ति...
3 माह पहले
2 टिप्पणियाँ:
सही बात है मास्टर जी की कमाई तो ट्यूशन में ही है|
very nice and very good
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