मक्खन गली के नुक्कड़ पर बैठा दो घंटे से मक्खियां मार रहा था..तभी ढक्कन आ गया...
ढक्कन ने नसीहत के अंदाज़ में कहा कि क्यों टाइम बर्बाद कर रहा है...
मक्खन ने तपाक से जवाब दिया..ओए, मुझे ऐसा-वैसा न समझ...मैं बदला ले रहा हूं बदला...
ढक्कन ने पूछा...भई वो कैसे...
मक्खन बोला...मुझे पहले वक्त ने बर्बाद किया, अब मैं वक्त को बर्बाद कर रहा हूं...
ढक्कन ने नसीहत के अंदाज़ में कहा कि क्यों टाइम बर्बाद कर रहा है...
मक्खन ने तपाक से जवाब दिया..ओए, मुझे ऐसा-वैसा न समझ...मैं बदला ले रहा हूं बदला...
ढक्कन ने पूछा...भई वो कैसे...
मक्खन बोला...मुझे पहले वक्त ने बर्बाद किया, अब मैं वक्त को बर्बाद कर रहा हूं...
6 टिप्पणियाँ:
सही बदला ले रहा है। धन्य हो मखन जी। शुभकामनायें।
Jiyo Makhkhan Guru !
वाह मक्खन को बदला लेना आ ही गया आखिर्।
dhanya ho gaya makkhan:P
आखिर मक्खन को बदला लेना आ ही गया|धन्यवाद|
बदले की आग बूझाईये
मन शांत होगा
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