मक्खन दोपहर के 3 बजे बड़ी तेज़ी से घर आया...चेहरा खुशी से चमक रहा था...आते ही मक्खनी को आवाज दी...मक्खनी किचन में थी...मक्खन ने आदेश
दिया...सब काम छोड़कर बेडरूम में आए...मक्खनी बेचारी गैस वगैरहा बंद करके आई...तब तक मक्खन खिड़कियां वगैरहा सब बंद करके कमरे में अंधेरा कर चुका था...बेड पर लेटे मक्खन ने मक्खनी को भी बेड पर आने के लिए कहा...मक्खनी बेचारी ने वैसा ही किया...मक्खनी के आते ही मक्खन ने दोनों के ऊपर रज़ाई खींच ली...
फिर मक्खनी से अपनी बांह दिखा कर बोला...देख..मेरी रेडियम की नई घड़ी...अंधेरे में कितना, चमकती है...

फिर मक्खनी से अपनी बांह दिखा कर बोला...देख..मेरी रेडियम की नई घड़ी...अंधेरे में कितना, चमकती है...
7 टिप्पणियाँ:
वाऊ! क्या अंदाज है?
ha ha ha...
ई...........श!!!!
बहुत बेकार हो आप। हा हा।
सुबह सुबह कैसी बातें करते हो खुशदीप भाई ? आपकी शिकायत करनी पड़ेगी .
हा हा!!
he bhagvan......kahan se kahan......patakte ho....
pranam.
हा हा हा हा हा हा .......... मक्खन ने भी न मक्खनी की KCPD कर दी.....
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