एक सयाने की जिन्न से दोस्ती थी...एक बार जिन्न कुछ दिन तक सयाने से मिलने नहीं आया...सयाने को फिक्र हो गई...उसने किसी तरह जतन कर जिन्न को बुलाया...
जिन्न आया तो लेकिन बदहवास हालत में...चेहरे से हवाइयां उड़ रही थीं...इस तरह जिस तरह किसी टार्चर रूम से बड़ी मुश्किल से निकल कर आया हो...
सयाने ने पूछा...क्या हुआ जिन्न भाई, तुम दुनिया के होश उड़ाते हो तुम्हारी ये हालत किसने बना दी...
जिन्न बोला....क्या बताऊं सयाने भाई...इस बार मुझे खुद ही मुझसे भी बड़ा जिन्न चिमड़ गया था...बड़ी मुश्किल से उसकी सौ-डेढ़ सौ पोस्ट पढ़ने के बाद जान छुड़ाकर आया हूं...बस डर यही है कि वो ब्लॉगर जिन्न और ताजा पोस्ट लेकर पीछे-पीछे यहां भी न आ धमके...
10 टिप्पणियाँ:
बेचारे जिन्न की क़िस्मत ही ख़राब है।
वह आ गया है यहां भी।
अब जिन्न के साथ आपको भी पढ़ना पड़ेगा वह अफ़साना जिसका ज़िक्र मैंने आपकी पोस्ट ‘औरत की बोली‘ पर अपने कमेंट में किया था।
औरत की हक़ीक़त Part 3 (प्रेम और वासना की रहस्यमय पर्तों का एक मनोवैज्ञानिक विवेचन) - Dr. Anwer Jamal
ये जिन्न तो मेरे मेल बॉक्स में भी खूब आते हैं।
DR. ANWER JAMAL कि टिप्पणी एक पोस्ट कि लिंक के साथ है. कहीं यह भी जिन्न नहीं. ?
अरे, ये भाग गया/.////अभी खबर लेता हूँ, पकड़ के रखना जरा इसको.
अच्छा तो यह देशनामा पर था.... और इसलिए छूट गया क्योंकि आप आजकल वहां कम जाते हैं... अब समझा, इसने मौके पर चौका मारा है!!!! :-)
टिपण्णी लिखते लिखते हाथ थक गए. छप ही नहीं रही है.
ये किस जिन्न का कमाल है खुशदीप भाई ?
जिन्न से भी बड़ा जिन्न...खुशदीप
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???????????????????
ये तो हर जगह मिलेगा कहाँ कहाँ बचेगा…………हा हा हा
हा हा हा...
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
hahaha
that was really hilarious !!
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