मक्खन बस पर चढ़ने लगा...
ऊपर से आवाज़ आई...इस बस पर मत चढ़, ये खाई में गिर जाएगी...
मक्खन को खटका हुआ, बस छोड़कर रेलवे स्टेशन पहुंचा...ट्रेन पर चढ़ने लगा...
ऊपर से फिर आवाज़ आई...इस ट्रेन पर मत चढ़, ये दूसरी ट्रेन से भिड़ जाएगी...
मरता क्या न करता, मक्खन एयरपोर्ट पहुंच गया...प्लेन पर चढ़ने लगा...
फिर ऊपर से आवाज़... इस प्लेन पर मत चढ़...ये समुद्र में क्रैश....
अभी ऊपर वाले की आवाज़ पूरी भी नहीं हुई थी कि मक्खन ने भन्ना कर पूछा....ओए तू है कौण....
ऊपर से आवाज़...मैं भगवान हूं...
मक्खन....ते ओस दिन कित्थे सुत्ता होया सी, जिस दिन मैं घोड़ी चढण लगया सी...
(तो उस दिन कहां सोया हुआ था जिस दिन मैं घोड़ी चढ़ने लगा था)
6 टिप्पणियाँ:
हाय ओए मकखन जी.... तुझी किना सच बोल्दे हो...
अच्छा तो आपके यह विचार हैं...:)
फ्रेंडशिप डे की शुभकामनाये
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आपका स्वागत है।
http://www.hbfint.blogspot.com/
हार्दिक शुभकामनायें मक्खन को !!
ha ha ha
भरजाई नूं दस्सां मक्खन दे बहाने तुसीं किस तरां दिल दी भडास कडदे हो ......
:))
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