राम और रावण में भीषण युद्ध चल रहा था...
देखने वाले हर शख्स की सांसें रुकी हुई थीं...
तभी अचानक रावण की नज़र राम के पीछे खड़े एक शख्स पर पड़ी जो मंद मंद मुस्कुरा रहा था...
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रावण एकदम से युद्ध छोड़कर खड़ा हो गया और बोला...चलो हो गया, मैं चलता हूं...
रावण एकदम से युद्ध छोड़कर खड़ा हो गया और बोला...चलो हो गया, मैं चलता हूं...
राम भी हैरान, पूछा...आखिर हुआ क्या...
रावण...कुछ नहीं, जाने दो, बस यूहीं...
राम...अरे बताओ तो सही क्या बात है...
रावण...इतनी छोटी सी बात पर 'रजनीकांत' को बुलाने की क्या ज़रूरत थी...
2 टिप्पणियाँ:
यह बात तो सही है ‘ब्लॉगर्स मीट वीकली‘ के लेवल से कम पर रजनीकांत को नहीं बुलाया जाना चाहिए।
क्या आप जानते हैं कि कोई आया या नहीं आया लेकिन ब्लॉगर्स मीट वीकली का आयोजन बेहद सफल रहा ?
sahi hai , ek dum sahi hai sir ji
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
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