मक्खन दुखी बैठा था...
बोला...ये भी कोई ज़िंदगी है...ऐसी ज़िंदगी से तो मौत अच्छी...
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यमदूत ने मक्खन की बात सुन ली और फौरन उसे यमलोक ले जाने के लिए आ गया..
यमदूत...चल मेरे साथ चल, अब तेरा इस दुनिया के लफ़ड़ों से छुटकारा हुआ..
मक्खन ये सुन कर बोला...
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लो बताओ, अब दुखी आदमी मज़ाक भी नहीं कर सकता...
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बोला...ये भी कोई ज़िंदगी है...ऐसी ज़िंदगी से तो मौत अच्छी...
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यमदूत ने मक्खन की बात सुन ली और फौरन उसे यमलोक ले जाने के लिए आ गया..
यमदूत...चल मेरे साथ चल, अब तेरा इस दुनिया के लफ़ड़ों से छुटकारा हुआ..
मक्खन ये सुन कर बोला...
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लो बताओ, अब दुखी आदमी मज़ाक भी नहीं कर सकता...
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2 टिप्पणियाँ:
यमराज भी तो मजाक कर रहे थे.
घुमा फिरा कर मक्खन को ढक्कन
के यहाँ छोड़ दिया.क्यूंकि मक्खन
पर ढक्कन का उधार था,जिसकी वजह
से मक्खन छिपता फिर रहा था,और
दुखी बैठा मौत की फरमाइश कर रहा था.
लो कर लो बात।
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